सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कमर्शियल कोर्ट्स एक्ट, 2015 की धारा 12A के तहत ‘तत्काल अंतरिम राहत’ (urgent interim relief) की व्याख्या स्पष्ट की है, विशेषकर बौद्धिक संपदा (IP) उल्लंघन के मामलों में।

जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक आराधे की बेंच ने माना कि जहां IP अधिकारों का निरंतर उल्लंघन हो रहा हो, वहां मुकदमा दायर करने में हुई देरी, अनिवार्य मध्यस्थता से छूट पाने के लिए जरूरी ‘तत्काल आवश्यकता’ को अपने आप में समाप्त नहीं कर देती।

कोर्ट ने नोवेन्को बिल्डिंग एंड इंडस्ट्री ए/एस (Novenco Building and Industry A/S) की अपील को स्वीकार करते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के सिंगल और डिवीजन बेंच के फैसलों को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से सुनवाई के लिए हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है।

मामले की पृष्ठभूमि

अपीलकर्ता, नोवेन्को बिल्डिंग एंड

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