सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह सवाल उठाया कि जब किसी उधारकर्ता के खाते को धोखाधड़ी (फ्रॉड) घोषित करने से पहले व्यक्तिगत सुनवाई देने से बैंकों को कोई नुकसान नहीं होता, तो वे इसका विरोध क्यों कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी, जो एक खाते को धोखाधड़ी घोषित करने से संबंधित थी।
पीठ ने कहा, “बस हमें यह समझाइए कि व्यक्तिगत मौखिक सुनवाई देने में क्या दिक्कत है? और अगर दी जाए तो इससे संबंधित बैंक को क्या हानि होगी?”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मार्च 2023 के अपने फैसले के बाद दो साल से अधिक बीत चुके हैं, जिसमें कहा गया था कि बैंक किसी खाते को धोखाधड़ी घोषित करने से पहले उधारकर्ता को उचित अवसर दें।
पीठ ने सवाल किया, “जब इतनी अवधि बीत

LawTrend

The Indian Express
The Tribune
Medical Dialogues
Vartha Bharati
RadarOnline
The Fashion Spot
AlterNet