छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (जेजे एक्ट) की धारा 24(1) के तहत मिली सुरक्षा के कारण, “विधि का उल्लंघन करने वाले बालक” (CCL) के रूप में किए गए किसी भी अपराध के लिए व्यक्ति को अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ सकता है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने एक खाद्य निरीक्षक की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए एक रिट अपील को स्वीकार कर लिया। उक्त निरीक्षक को उन आपराधिक मामलों का खुलासा न करने के लिए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, जो नाबालिग रहते हुए उस पर दर्ज किए गए थे।
अदालत ने माना कि ऐसे “पुराने और निपटाए गए मामलों”, जो उसकी नियुक्ति से बहुत पहले समाप्त हो गए थे, की जानकारी न देना, भौतिक तथ्यों को छिपाना नहीं माना जा सकता, जिसके लिए बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाए।
मामले की पृष

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