सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें गुरुग्राम के डीएलएफ सिटी क्षेत्र में अवैध और अनधिकृत निर्माण को हटाने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह आदेश उन संपत्ति मालिकों को सुने बिना पारित किया गया जो इस मामले में पक्षकार ही नहीं थे।
जस्टिस जे. के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिष्णोई की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह आदेश “अपीलकर्ताओं को पक्षकार बनाए बिना” पारित किया, जिससे न्याय के बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन हुआ।
पीठ ने स्पष्ट किया, “यह स्वतः स्पष्ट है कि निष्पक्ष न्याय के लिए सुनवाई का अवसर (opportunity of hearing) अनिवार्य शर्त है। अदालत को किसी पक्ष के अधिकारों का निर्णय उसकी बात सुने बिना नहीं करना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा दी गई दिशा-निर्देश—चाहे वह दीवानी अदालत के अधिकार क्षेत्र से संबंधित हो या निर्माण

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