सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए गिरफ्तार व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों को स्पष्ट और मजबूत किया है। कोर्ट ने कहा कि “गिरफ्तारी के आधार” को सभी मामलों में, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) या पूर्ववर्ती भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आने वाले अपराध भी शामिल हैं, अनिवार्य रूप से लिखित रूप में सूचित किया जाना चाहिए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कानून के एक महत्वपूर्ण प्रश्न का समाधान किया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही आपातकालीन परिस्थितियों के कारण गिरफ्तारी के तुरंत बाद आधार प्रदान करना संभव न हो, लेकिन आरोपी को रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से कम से कम दो घंटे पहले ये आधार लिखित रूप में दिए जाने चाहिए।

कोर्ट “मिहिर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य” (क्रिमिनल अपील संख्या 2195, 2025) को मुख्य माम

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