दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन दशकों से लंबित एक दीवानी मुकदमे (Civil Suit) में वाद पत्र (Plaint) में संशोधन की मांग करने वाली याचिका को “प्रक्रिया को लंबा खींचने का प्रयास” बताते हुए खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें अंतिम बहस के चरण में संशोधन आवेदन को खारिज कर दिया गया था। कोर्ट ने टिप्पणी की कि इतने विलंब के बाद ट्रायल को फिर से खोलना “न्याय का सबसे बुरा मजाक” (Worst travesty of justice) होगा।

अदालत ने देरी के लिए अपने पूर्व वकील को दोषी ठहराने की याचिकाकर्ता की दलील पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा, “पूर्व वकील पर कचरा फेंकने (Throwing trash) की इस प्रथा की निंदा की जानी चाहिए।”

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला भूप सिंह गोला बनाम दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य (CM(M) 2208/2025) से संबंधित है। याचिकाकर्ता (वादी) ने लगभग 30 साल पहले प्र

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