दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उन याचिकाकर्ताओं से सवाल किया जो 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों को लेकर विभिन्न राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषणों पर एफआईआर दर्ज कराने और स्वतंत्र एसआईटी जांच की मांग कर रहे हैं। अदालत ने पूछा कि जब इसी तरह की याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहले से लंबित है, तो वे वहां क्यों नहीं जा रहे।

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि शीर्ष अदालत एक समान राहतों वाली याचिका पर विचार कर रही है, इसलिए दो अलग-अलग अदालतों में एक ही मुद्दे पर समानांतर सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।

पीठ ने कहा, “क्या यह बेहतर नहीं होगा कि आप सुप्रीम कोर्ट जाएं और वहीं अपनी दलीलें रखें? आप सभी एक ही सामग्री के आधार पर यही राहत चाहते हैं। फिर दो जगह सुनवाई क्यों हो? आप वहां पक्षकार बनकर अपनी बात रख सकते हैं। इसे यहां लंबित रखने की क्या जरूरत है?”

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