मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि कई लोगों (Principals) द्वारा निष्पादित ‘जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी’ (GPA) ‘हित से जुड़ी’ (Coupled with Interest) है, तो उनमें से किसी एक की मृत्यु होने पर वह अपने आप समाप्त नहीं होती है।
जस्टिस के. गोविंदराजन थिलकावादी की पीठ ने यह व्यवस्था देते हुए मूल मालिक के कानूनी वारिसों द्वारा दायर दूसरी अपील (Second Appeal) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट द्वारा एक प्रिंसिपल की मृत्यु के बाद निष्पादित ‘सेल डीड’ (Sale Deed) की वैधता को बरकरार रखा।
हाईकोर्ट के समक्ष गोपम्मा और मुनिअम्मा द्वारा दायर दूसरी अपील संख्या 238 और 239 (वर्ष 2023) विचाराधीन थीं। अपीलकर्ताओं ने अधीनस्थ न्यायालय, डेनकनिकोट्टई और अतिरिक्त जिला मुंसिफ कोर्ट के उन फैसलों को चुनौती दी थी, जिनमें उनके स्वामित्व की घोषणा और स्थायी निषेधाज्ञा (Injunction) क

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