राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि नियमित विभागीय जांच (Regular Departmental Enquiry) के दौरान आरोप साबित नहीं होते हैं और गवाह अपने बयानों से मुकर जाते हैं, तो केवल प्रारंभिक जांच (Preliminary Enquiry) के निष्कर्षों के आधार पर कर्मचारी को सजा नहीं दी जा सकती।

शंकर राम बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य (एस.बी. सिविल रिट याचिका संख्या 981/2019) के मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने पुलिस कांस्टेबल की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने पाया कि समीक्षा प्राधिकारी (Reviewing Authority) ने नियमित जांच के तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए प्रारंभिक जांच के बयानों पर भरोसा करके गंभीर त्रुटि की है।

मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता शंकर राम, जो 24 सितंबर 2008 को कांस्टेबल के पद पर नियुक्त हुए थे, को 4 मई 2015 को एक आरोप पत्र (Charge-sheet) जारी क

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