सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत 3 करोड़ रुपये से अधिक के गबन के आरोपी को अग्रिम जमानत दी गई थी। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का निर्णय “आवश्यक तथ्यों पर विचार न करने” (non-consideration of essential facts) से दूषित है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी की उस रिपोर्ट को नजरअंदाज किया जिसमें हिरासत में पूछताछ (custodial interrogation) की आवश्यकता बताई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता सलिल महाजन की अपील को स्वीकार करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 2 अप्रैल 2025 के आदेश को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316(4), 344 और 61(2) के तहत दर्ज एफआईआर में आरोपी अविनाश कुमार को गिरफ्तारी से पहले जमानत (anticipatory bail) दे दी थी। शीर्ष अदालत ने टि

See Full Page