सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि मोटर दुर्घटना के मामलों में पीछे बैठे यात्री (Pillion Rider) को तब तक ‘अंशदायी लापरवाही’ (Contributory Negligence) के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता, जब तक कि दुर्घटना में उसके योगदान को साबित करने वाला कोई ठोस सबूत न हो। शीर्ष अदालत ने ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के उन निष्कर्षों को खारिज कर दिया, जिसमें अंशदायी लापरवाही का हवाला देते हुए घायल वादी के मुआवजे में 50% की कटौती कर दी गई थी।

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने कहा कि दो वाहनों की टक्कर में, एक ‘थर्ड पार्टी’ पिलियन राइडर का मामला “समग्र लापरवाही” (Composite Negligence) के दायरे में आता है। ऐसे में, पीड़ित व्यक्ति किसी भी गलती करने वाले पक्ष (Tortfeasors) से पूरा मुआवजा वसूलने का हकदार है।

मामले की पृष्ठभूमि

अपीलकर्ता, यशवंत कृष्णा कुंबर, 18 अप्रैल 2014 को

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