सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लंबित (सब-ज्यूडिस) मामलों पर “आधी-अधूरी सच्चाई और तथ्यहीन टिप्पणियाँ” सार्वजनिक धारणा को प्रभावित करती हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह प्रचार या किसी तरह का नैरेटिव गढ़ने के उद्देश्य से की गई रिपोर्टिंग से “पूरी तरह अप्रभावित” है।
ये टिप्पणियाँ उन व्यक्तियों के प्रत्यावर्तन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान की गईं, जिन्हें कथित रूप से बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए बांग्लादेश भेज दिया गया था। इस मामले में केंद्र सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की है, जिसमें ऐसे व्यक्तियों को वापस लाने का निर्देश दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति जॉयमल्य बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने केंद्र की अपील पर सुनवाई के लिए 6 जनवरी की तारीख तय की।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सुनाली खातून, जो गर्भवती

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