इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने रिट अधिकार क्षेत्र के दायरे पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा अधिग्रहीत भूमि के लिए मध्यस्थ (आर्बिट्रेटर) द्वारा दिए गए मुआवजे की राशि को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के तहत मुआवजे की अपर्याप्तता से संबंधित विवादों को मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 34 में प्रदान की गई वैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से ही चुनौती दी जानी चाहिए, न कि सीधे संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर करके।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला याचिकाकर्ता रामशंकर यादव और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर किया गया था, जिनकी हाथरस जिले के गौसगंज गांव की जमीन 2018 में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 91 के विस्तार