सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस पमिदिघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर शामिल हैं, ने बंबई हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसके तहत एक अवमानना याचिका (Contempt Petition) को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि मूल अदालती आदेश “दो अर्थों वाला” (Ambiguous) था। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का यह दृष्टिकोण गलत था क्योंकि संबंधित आदेश में स्पष्ट और श्रेणीबद्ध निर्देश शामिल थे। इसके परिणामस्वरूप, सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना कार्यवाही को नए सिरे से विचार के लिए बहाल कर दिया है।
कानूनी मुद्दा यह था कि क्या बंबई हाईकोर्ट का 17 जनवरी, 2003 के आदेश को अस्पष्ट बताकर अवमानना याचिका को खारिज करना उचित था? सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट ने इस मूल्यांकन में त्रुटि की है। कोर्ट ने कहा कि 2003 के आदेश में जमीन का कब्जा सौंपने के लिए स्पष्ट निर्देश थे, और याचिकाकर्ता की

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